स्टॉक मार्केट से होने वाले लॉन्ग-टर्म कैपिटल गेन पर टैक्स बचाना हर निवेशक की प्राथमिकता होती है। सही रणनीतियों का उपयोग कर आप इस टैक्स को कम कर सकते हैं।हम विभिन्न वैध तरीकों की विस्तार से चर्चा करेंगे, जो आपके निवेश पर अधिकतम लाभ सुनिश्चित करेंगे। तो आइये संक्षेप में इन्हे समझते हैं-
1. LTCG टैक्स की छूट का लाभ उठाएं
यदि आपने एक साल से अधिक समय तक शेयर या म्यूचुअल फंड में निवेश किया है, तो इससे होने वाले लाभ को लॉन्ग-टर्म कैपिटल गेन कहा जाता है। – भारतीय टैक्स कानून के अनुसार, एक वित्तीय वर्ष में 1 लाख रुपये तक के लॉन्ग-टर्म कैपिटल गेन पर कोई टैक्स नहीं लगता। 1 लाख रुपये से अधिक के लाभ पर 10% टैक्स लगता है।
मान लें कि आपने 2018 में 5 लाख रुपये के शेयर खरीदे। 2023 में आप इन शेयरों को 7 लाख रुपये में बेचते हैं। – आपके कुल लाभ = 7 लाख – 5 लाख = 2 लाख रुपये हैं। – इसमें से 1 लाख रुपये तक का लाभ टैक्स-मुक्त होगा। शेष 1 लाख रुपये पर 10% का टैक्स लगेगा, यानि 10,000 रुपये।
2. लॉस को कैरी फॉरवर्ड करें (Carry Forward Losses)
अगर आपने किसी वर्ष में लॉन्ग-टर्म निवेश में नुकसान किया है, तो आप उस नुकसान को अगले 8 वर्षों तक कैरी फॉरवर्ड कर सकते हैं। इस नुकसान को आप आने वाले वर्षों के लाभ से सेट ऑफ कर सकते हैं, जिससे आपकी टैक्स देनदारी कम हो जाएगी।
मान लीजिए कि 2020 में आपको 50,000 रुपये का लॉन्ग-टर्म कैपिटल लॉस हुआ। – 2023 में आपको 1.5 लाख रुपये का लॉन्ग-टर्म कैपिटल गेन होता है। – आप 2020 का लॉस 2023 के लाभ से सेट ऑफ कर सकते हैं। अब आपका टैक्स योग्य लाभ = 1.5 लाख – 50,000 = 1 लाख रुपये होगा, जो टैक्स-मुक्त होगा।
3. लाभांश को विभाजित करें (Split Gains)
अगर आपका लॉन्ग-टर्म कैपिटल गेन 1 लाख रुपये से अधिक हो सकता है, तो आप इसे अलग-अलग वित्तीय वर्षों में विभाजित कर सकते हैं। इससे प्रत्येक वर्ष के लिए 1 लाख रुपये तक के लाभ पर छूट मिलेगी।
मान लीजिए आपने 2017 में 4 लाख रुपये के शेयर खरीदे और 2023 में उनके मूल्य 8 लाख रुपये हो गए। – अगर आप 2023 में सभी शेयर एक साथ बेचते हैं, तो आपका 4 लाख रुपये का लाभ होगा, जिस पर 3 लाख रुपये (1 लाख की छूट के बाद) पर टैक्स लगेगा।
4. सेक्शन 54EC के तहत निवेश (Investment in 54EC Bonds)
अगर आप किसी संपत्ति (जैसे जमीन, मकान) को बेचते हैं और उससे लॉन्ग-टर्म कैपिटल गेन प्राप्त होता है, तो आप उस राशि को सेक्शन 54EC के तहत टैक्स-सेविंग बांड में निवेश कर सकते हैं। यह बांड 5 साल की अवधि के लिए होते हैं और इसमें अधिकतम 50 लाख रुपये तक निवेश किया जा सकता है।
मान लीजिए आपने 2016 में एक संपत्ति खरीदी थी जिसकी कीमत 20 लाख रुपये थी। 2023 में आपने इसे 50 लाख रुपये में बेचा। – आपके लॉन्ग-टर्म कैपिटल गेन = 50 लाख – 20 लाख = 30 लाख रुपये हुए। – अगर आप 30 लाख रुपये को सेक्शन 54EC के बांड में निवेश करते हैं, तो आपको इस लाभ पर कोई टैक्स नहीं देना होगा।
5. Dividend Reinvestment Plan (DRIP) का उपयोग करें
DRIP का उपयोग करके आप डिविडेंड को सीधे पुनः निवेश कर सकते हैं। इससे आपके पास इक्विटी की संख्या बढ़ जाती है और डिविडेंड पर सीधे टैक्स नहीं लगता।
मान लीजिए कि आप एक कंपनी के 100 शेयर रखते हैं और वह आपको 50 रुपये प्रति शेयर डिविडेंड देती है। अगर आप DRIP का विकल्प चुनते हैं, तो आपको 5000 रुपये की नकद राशि के बजाय नए शेयर मिलेंगे। इससे डिविडेंड पर कोई टैक्स नहीं लगेगा, और आपके नए शेयर लॉन्ग-टर्म कैपिटल गेन में तब्दील हो जाएंगे, जिस पर टैक्स कम होगा।
6. सेक्शन 54 के तहत रिहायशी संपत्ति में पुनः निवेश (Reinvestment in Residential Property)
अगर आपने किसी रिहायशी संपत्ति को बेचा है और उससे प्राप्त राशि से आप एक नई रिहायशी संपत्ति खरीदते हैं, तो आपको उस राशि पर टैक्स नहीं देना पड़ेगा। यह छूट केवल तभी मिलती है जब नई संपत्ति को बेचे गए संपत्ति से 2 साल के अंदर खरीदा या 3 साल के अंदर निर्माण किया जाए।
मान लीजिए आपने 2015 में एक मकान खरीदा था जिसकी कीमत 40 लाख रुपये थी। 2023 में आपने उसे 70 लाख रुपये में बेचा। – आपके लॉन्ग-टर्म कैपिटल गेन = 70 लाख – 40 लाख = 30 लाख रुपये हुए। – अगर आप 30 लाख रुपये को 2 साल के अंदर एक नई रिहायशी संपत्ति खरीदने में लगाते हैं, तो आपको इस लाभ पर टैक्स नहीं देना पड़ेगा।
इन तरीकों से आप अपने लॉन्ग-टर्म कैपिटल गेन टैक्स को कम कर सकते हैं।